Sunday, August 5, 2012

वीर प्रहरी



                                वीर  प्रहरी

मात्   भूमि    के   सजग   प्रहरी  !  बढ़ो   ,  न  पीछे  हट   जाना ,
पाप   पैर  दुश्मन   ने   रखा  , उसको  सबक   सिखा   देना   ।

अमित   धैर्य   औ    साहस   भर   , रिपु-  दल पर  तुम  चढ़ते जाना ,
विजय    का    झंडा   ओ   प्रहरी    ,  है   रन   में   भी       फहराना    ।

मात्   भूमि   के   सजग    प्रहरी   !  तुम    आगे     बढ़ते     जाना  ,
देख   अकेले   अपने   को    तुम  ,    नहीं   तनिक   भी    घबराना     ।

हम   कोटि - कोटि  जन  तेरे पीछे   , हिन्दू  , मुस्लिम , सिक्ख, ईसाई ,   ,
आ   रहे    झूमते  ,   हँसते  - गाते  ,   मस्ती   में  "  विजय "  तराना  ।


( वर्ष    1965 में  लिखित   एवं  प्रकाशित  )




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