ओ पिंजरे के कैदी पंछी ,
विपद घोर तुम पर छाया है ,
असह्य बंधन असह्य वेदना ,
दुबली - पतली क्षीण काया है ।
उर में तेरे अरमान भरे ,
पलती उर में कैदी होकर ,
है पाँखो में तूफान भरे ,
पिंजरे में है कैदी बनकर ।
नील गगन में उड़ते पंछी ,
मुक्त , अबाध कलरव करते हैं ,
पर , तुम कैदी के पाँव बंधे ,
चोचों पर भी हैं शिला धरे ,
कि , गा न सको तुम कोई गान ,
कह ना पाओ , तुम दुःख - कल्याण ।
रो - रो मत ओ कैदी पंछी ,
इक दिन यह बंधन टूटेगा ,
हो आजाद हवा में उड़ना ,
मस्ती में , गा कर इठलाना ।
लेते आना साथ छिपा कर ,
पैरों की कड़ियाँ - जंजीरें ,
ना कोई कैदी हो पाये ,
ना कोई पिंजरे में बंध पाये ।
ना बांधो तुम परवानों को ,
ना रोको तुम मस्तानों को ,
जग जले भले ही देख - देख ,
उन्हें अंगारों में जलने दो ।
आजाद परिंदों को मिलकर ,
आजाद तराने गाने दो ।
( 1 9 6 6 में रचित )
विपद घोर तुम पर छाया है ,
असह्य बंधन असह्य वेदना ,
दुबली - पतली क्षीण काया है ।
उर में तेरे अरमान भरे ,
पलती उर में कैदी होकर ,
है पाँखो में तूफान भरे ,
पिंजरे में है कैदी बनकर ।
नील गगन में उड़ते पंछी ,
मुक्त , अबाध कलरव करते हैं ,
पर , तुम कैदी के पाँव बंधे ,
चोचों पर भी हैं शिला धरे ,
कि , गा न सको तुम कोई गान ,
कह ना पाओ , तुम दुःख - कल्याण ।
रो - रो मत ओ कैदी पंछी ,
इक दिन यह बंधन टूटेगा ,
हो आजाद हवा में उड़ना ,
मस्ती में , गा कर इठलाना ।
लेते आना साथ छिपा कर ,
पैरों की कड़ियाँ - जंजीरें ,
ना कोई कैदी हो पाये ,
ना कोई पिंजरे में बंध पाये ।
ना बांधो तुम परवानों को ,
ना रोको तुम मस्तानों को ,
जग जले भले ही देख - देख ,
उन्हें अंगारों में जलने दो ।
आजाद परिंदों को मिलकर ,
आजाद तराने गाने दो ।
( 1 9 6 6 में रचित )