Saturday, June 4, 2016

पाई यह कैसी आजादी ?

जहाँ बोली पर पहरा रहता ,
अभिव्यक्ति पर हो पाबंदी ,
कदम- कदम पर झूठ का फंडा  ,
सच कहने पर काराबन्दी ,
पाई यह कैसी आजादी  ?

कहते हमने की है तरक्की ,
टुकड़े में परिवार बँटा है ,
चचा , बुआ ,ताया - ताई ,
वृद्धाश्रम में दादा -दादी ,
पाई यह कैसी आजादी  ?

आरक्षण की भीत डाल कर ,
नफ़रत दिल में जगा रहे हैं ,
सत्ता की खातिर करते हैं ,
जनता के धन की बर्बादी ,
पाई यह कैसी आजादी  ?

किस माँ के हैं बेटे ऐसे ,
इतिहास के आखर मेटे ,
महापुरूषों के मुख्य पर कालिख ,
पोत रहे ये अवसरवादी ,
पाई यह कैसी आजादी  ?