आज देश का नया , हो रहा श्रृंगार है ,
आज पवन मस्त हो , गा रहा मल्हार है ,
नई किरण फूट रही , यह नया विहान है ,
हिमालय का ताज लिये , यह हिन्दुस्तान है ।
गली - गली , सड़क - सड़क , गांव से शहर तलक ,
पहाड़ से सिंधु तक , धरा से आसमान तक ,
भारतीय जवान के , आन - बान - मान से ,
तिरंगा निज देश का , फहर रहा शान से ।
हर तरफ से आ रही , एक ही आवाज है ,
महान है , महान है , देश यह महान है ।
( अगस्त 1967 में रचित )
आज पवन मस्त हो , गा रहा मल्हार है ,
नई किरण फूट रही , यह नया विहान है ,
हिमालय का ताज लिये , यह हिन्दुस्तान है ।
गली - गली , सड़क - सड़क , गांव से शहर तलक ,
पहाड़ से सिंधु तक , धरा से आसमान तक ,
भारतीय जवान के , आन - बान - मान से ,
तिरंगा निज देश का , फहर रहा शान से ।
हर तरफ से आ रही , एक ही आवाज है ,
महान है , महान है , देश यह महान है ।
( अगस्त 1967 में रचित )