Saturday, July 27, 2019

मुक्तक

मछली ने केंचुए से कहा -
तू क्यों मुझे ललचाती है ,
खुद तो मरती ही  है ,
मुझे भी मरवाती है।

कभी पानी का थाह
बाँस लेता है ,
कभी पानी   बाँस को
बहा ले जाता है।

बरसाती नाला , बहुतों को
बहा ले जाती है ,
कुछ उसके साथ बह जाते हैं ,
कुछ अपने को बचा लेते हैं।

मनुष्य को देख परिंदे ने कहा ,
कितना स्वार्थी हैं ये ,
अपना घर बनाने के लिये ,
परिंदों का घर उजाड़ देते हैं।
--- मंजु  सिन्हा

Wednesday, July 24, 2019

निठुर भोर !

जाने कितनी रात कटी मेरी आँखों में ,
कुछ  आश लिये ,
अरे ! निठुर " ओ  भोर  " ,
तुझको इसकी खबर नहीं है  .......

जाने कितनी बात रही अनकही ,
तैरती स्वासों पर ,
अरे ! निठुर मन पवन ,
तुझको इसकी खबर नहीं  ..... ...

जाने कितनी प्यास रही अव्यक्त सदा ,
इन अधरों पर ,
ओ !  तुहिन बिन्दु  ,
तुझको इसकी खबर नहीं  ....... ...

Thursday, July 11, 2019

तुम यूँ ही सदा मुस्कुराती रहो ,
जीत के गीत हरदम ही गाती रहो।
आशीष , शुभकामना।

मौन

मौन ही तो साधना है ,
मौन ही आराधना है ,
मौन में ही प्रश्न है ,
मौन में उत्तर समाहित ,
समझ सके गर जो भी कोई,
भाषा अबोले मौन की ,
तो , वह , इतना जान ले ,
मौन ही सबसे मुखर है ,
शेष सब ही गौण है ,
शेष सब ही गौण है  ........... 

( प्रकाशित  )

Tuesday, July 9, 2019

बाल गीत

दादी मेरी आओ जी ,
भूख लगी है मुझको जी ,
खाना कुछ ले आओ जी ,
कुछ मीठे कुछ खट्टे लाना ,
कुछ लाना नमकीन ,
दादी मैं तो चला घूमने ,
व्ह्वेन्सांग का चीन।