Saturday, July 27, 2019

मुक्तक

मछली ने केंचुए से कहा -
तू क्यों मुझे ललचाती है ,
खुद तो मरती ही  है ,
मुझे भी मरवाती है।

कभी पानी का थाह
बाँस लेता है ,
कभी पानी   बाँस को
बहा ले जाता है।

बरसाती नाला , बहुतों को
बहा ले जाती है ,
कुछ उसके साथ बह जाते हैं ,
कुछ अपने को बचा लेते हैं।

मनुष्य को देख परिंदे ने कहा ,
कितना स्वार्थी हैं ये ,
अपना घर बनाने के लिये ,
परिंदों का घर उजाड़ देते हैं।
--- मंजु  सिन्हा

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