मछली ने केंचुए से कहा -
तू क्यों मुझे ललचाती है ,
खुद तो मरती ही है ,
मुझे भी मरवाती है।
कभी पानी का थाह
बाँस लेता है ,
कभी पानी बाँस को
बहा ले जाता है।
बरसाती नाला , बहुतों को
बहा ले जाती है ,
कुछ उसके साथ बह जाते हैं ,
कुछ अपने को बचा लेते हैं।
मनुष्य को देख परिंदे ने कहा ,
कितना स्वार्थी हैं ये ,
अपना घर बनाने के लिये ,
परिंदों का घर उजाड़ देते हैं।
--- मंजु सिन्हा
तू क्यों मुझे ललचाती है ,
खुद तो मरती ही है ,
मुझे भी मरवाती है।
कभी पानी का थाह
बाँस लेता है ,
कभी पानी बाँस को
बहा ले जाता है।
बरसाती नाला , बहुतों को
बहा ले जाती है ,
कुछ उसके साथ बह जाते हैं ,
कुछ अपने को बचा लेते हैं।
मनुष्य को देख परिंदे ने कहा ,
कितना स्वार्थी हैं ये ,
अपना घर बनाने के लिये ,
परिंदों का घर उजाड़ देते हैं।
--- मंजु सिन्हा
No comments:
Post a Comment