Wednesday, July 24, 2019

निठुर भोर !

जाने कितनी रात कटी मेरी आँखों में ,
कुछ  आश लिये ,
अरे ! निठुर " ओ  भोर  " ,
तुझको इसकी खबर नहीं है  .......

जाने कितनी बात रही अनकही ,
तैरती स्वासों पर ,
अरे ! निठुर मन पवन ,
तुझको इसकी खबर नहीं  ..... ...

जाने कितनी प्यास रही अव्यक्त सदा ,
इन अधरों पर ,
ओ !  तुहिन बिन्दु  ,
तुझको इसकी खबर नहीं  ....... ...

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