जाने कितनी रात कटी मेरी आँखों में ,
कुछ आश लिये ,
अरे ! निठुर " ओ भोर " ,
तुझको इसकी खबर नहीं है .......
जाने कितनी बात रही अनकही ,
तैरती स्वासों पर ,
अरे ! निठुर मन पवन ,
तुझको इसकी खबर नहीं ..... ...
जाने कितनी प्यास रही अव्यक्त सदा ,
इन अधरों पर ,
ओ ! तुहिन बिन्दु ,
तुझको इसकी खबर नहीं ....... ...
कुछ आश लिये ,
अरे ! निठुर " ओ भोर " ,
तुझको इसकी खबर नहीं है .......
जाने कितनी बात रही अनकही ,
तैरती स्वासों पर ,
अरे ! निठुर मन पवन ,
तुझको इसकी खबर नहीं ..... ...
जाने कितनी प्यास रही अव्यक्त सदा ,
इन अधरों पर ,
ओ ! तुहिन बिन्दु ,
तुझको इसकी खबर नहीं ....... ...
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