Sunday, May 3, 2015

आज तुम गाओ मंगल गान

हुआ प्रकृति में नया विहान ,
आज तुम गाओ मंगल गान।
सरसों फूली , बौर है महका ,
महुआ से है वन मदमाया।
हवा वसंती चली , कि, ऐसी ,
सुध-बुध भी मन का विसराया।
गीत भृंग , गाये  फूलों पर ,
लहरें मदमाती कूलों पर।
प्रकृति विहँसी , आया विहान ,
आज तुम गाओ मंगल गान।