Wednesday, July 15, 2020

ओ मनुज तू धीर धर

ओ मनुज तू धीर धर ,
ना हो विकल , न हो विकल।
आँधियों का जोर है ,
तूफ़ान का ये शोर है ,
पल में गुजर यह जायेगा ,
कहर भी थम जायेगा ,
कुछ भी नहीं तो नित्य है ,
सब कुछ यहाँ अनित्य है ,
जो आज है , ना होगा कल ,
पल ,पल बदलता है ये पल ,
ओ मनुज तू धीर धर ,
ना हो विकल ,ना हो विकल।

स्याह जितनी रात हो ,
आघात पर आघात हो ,
मिट जाता होते प्रात ही ,
आघात भी होगा विफल ,
ओ  मनुज तू धीर धर ,
ना हो विकल , ना हो विकल।