Thursday, April 30, 2020

दुनिया तो एक रंगमंच है

छूट गए सब एक  - एक कर ,
अपने और पराये ,
खाली हाथ ही  जाना होगा ,
क्या लेकर थे आये।
बचपन बीता माँ की गोद में ,
पत्नि संग जवानी ,
स्वर्ण काल जीवन के हमने ,
सो कर के ही गंवाए।
जीवन के संघर्षों की भी ,
अपनी  एक कहानी ,
कभी रुलाया जी भर मुझको ,
कभी खूब मुस्काये।
काया जर्जर हुआ तो जाना ,
आया पास बुढ़ापा ,
अब तो है चलने की बारी ,
मनुआ तू क्यों रोये।
दुनिया तो एक रंगमंच है ,
सबका आना -जाना ,
जीवन के कर्तव्य निभा कर ,
तुमने रीत निभाये।