Thursday, April 11, 2019

चन्द शेऱ

                   ( 1  )
लोग तो , ना जाने ,
क्या -क्या ख़याल रखते हैं ,
खुद पर यकीं नहीं   ,
औरों की नक़ल करते  हैं।                                                 
                ( 2  )
तुम बेसुरे ही सही,
गाओ तो कोई गीत ,
अपना ही ,
बकरियां भी करती  हैं  में - में ,
अपनी ही आवाज में ,
भेड़ियों की नक़ल नहीं करतीं।
                  ( 3  )
बरसात के मौसम की महक मिलते ही ,
मेढक टर - टराने लगते हैं ,
फूल में खुशबू आने से पहले ही ,
लोभी भँवरे गुन - गुनाने लगते हैं।
                ( 4  )
राजा कहै फ़कीर हूँ ,
झोला मेरे साथ ,
सुनत कबीरा हँसि पड़ै ,
कर धर अपने माथ।
कर धर अपने माथ ,
सोच में पड़ै कबीरा ,
हैं फ़कीर जो सॉंच में ,
होगा उनका क्या नाथ   ?