Friday, December 21, 2018

नया वर्ष आने वाला है

नया वर्ष  आने वाला है ,
धूम - धड़ाका होने वाला है ,
वर्ष 2019  आने वाला है ,
फिर से चुनाव आने वाला है।
फिर धर्म - जाति के बीज ,
जनता की छाती पर बोयेंगे ,
हमको तुमसे , तुमको हमसे ,
अलग - अलग बाँटे जायेंगे ,
वो नेता फिर से आएंगे ,
वो वोट माँगने आएंगे।
पहाड़ का  हाल खस्ता है  ,
नदी पार करने का पूल टूटा है
स्कूल का बच्चा रोज ही ,
रस्सी पर चल कर ,
स्कूल जाता है ,
सब को यह पता है ,
पर किस किस को दर्द होता है  ?
हर बार की तरह सिर झुकाये  ,
वो आएंगे फिर से ,
वो वोट माँगने आएंगे ,
अबकी पक्का  वादा है ,
फिर से कसमें खाएंगे ,
वादा कर के जाएंगे ,
उनमें कुछ पुराने वादे होंगे ,
कुछ नए वादे कर जाएंगे ,
वादों की झड़ी लगा देंगे ,
हम वादों में खो जाएंगे ,
वादों की  लॉलीपॉप ,
हमारी कानों को दे जाएंगे ,
आपका और मेरा वोट ,
लेकर ही वो  जाएंगे ,
फिर से हम सब  कोस - कोस कर
आँसू पी कर  ,
अगले चुनाव का इन्तजार,
बस करते ही रह जाएंगे।
वह जेई तरह से आएंगे ,
और इसी तरह से जाएंगे।