Monday, May 11, 2020

श्रद्धांजलि - 1

समेट लेना वे सारी रोटियां ,
जो बिखरी पड़ी हैं
हमारी लाशों के बीच ,              
रेलवे लाइन किनारे ,
और ,
बाँट देना ,
उन गरीब ,बेबस मजदूरों,
उन भूखे , बदनसीब बच्चों
और
औरतों के बीच ,
जो न जाने कब  से
रोटी और घर की तलाश में
भागे जा रहे हैं
पाँव -पैदल ,
न सूरज उन्हें डराता ,
न बारिस उन्हें भिगोता ,
न ठंढ उन्हें सताता।
उनके साहस ,
उनके अडिग विश्वास ,
जिनके रीढ़ की हड्डी पर
यह भुवन टिका है ,
जो विश्व के विकास की
एक धुरी है ,
क्या नाम दें !
रचना तिथि :- 09 -05 -2020