नल में पानी है नहीं ,
नहीं चिंता की बात ,
पानी के स्थान पर ,
सस्ती हुई शराब ।
सस्ती हुई शराब ,
पियो जाम भर - भर कर ,
छोड़ो सब्जी दाल अब ,
क्या होगा इसको खाकर ।
गैस हुआ है मंहगा ,
गृहणी क्यों परेशान ,
उनसे कहो शराब ही ,
उन्नति की पहचान ।
उन्नति की पहचान ,
भरें कलसी और गागर ,
खुद भी पियें और पिलायें ,
मेहमानों को बुलाकर ।
( उतराखंड सरकार ने शराब सस्ती कर दिया है । इस सन्दर्भ को लेकर यह एक व्यंग्यात्मक कटाक्ष कविता के रूप में लिखा गया तथा यह कविता दैनिक समाचार पत्र हिन्दुस्तान दिनांक 1 9 - 3 - 2 0 1 3 में छपी है )
नहीं चिंता की बात ,
पानी के स्थान पर ,
सस्ती हुई शराब ।
सस्ती हुई शराब ,
पियो जाम भर - भर कर ,
छोड़ो सब्जी दाल अब ,
क्या होगा इसको खाकर ।
गैस हुआ है मंहगा ,
गृहणी क्यों परेशान ,
उनसे कहो शराब ही ,
उन्नति की पहचान ।
उन्नति की पहचान ,
भरें कलसी और गागर ,
खुद भी पियें और पिलायें ,
मेहमानों को बुलाकर ।
( उतराखंड सरकार ने शराब सस्ती कर दिया है । इस सन्दर्भ को लेकर यह एक व्यंग्यात्मक कटाक्ष कविता के रूप में लिखा गया तथा यह कविता दैनिक समाचार पत्र हिन्दुस्तान दिनांक 1 9 - 3 - 2 0 1 3 में छपी है )