Tuesday, March 13, 2012

नन्हा सा मुन्ना


                                                                               























फूल सा धूसरित ,
नन्हा सा मुन्ना है
खेल  रहा
आँगन के कोने में ....
ठीकरों  के पैसे
मिट्टी की  बाटी ,
कंकर की दाल बनी
कागज़  की भाजी .....
झूल रहा जंत्री  है
चांदी का , सीने पर  ,
दीपित है हो रहा
जैसे टंका , सोने में .....
अम्मा  को देख कर
किलकारी  भरता  है ,
नन्हे से  पांवों  से
नन्हा पग धरता है ,
गिरता है ,उठता है ,
भाग ,फिर भी जाता है ......
पांवों  के पायल की
रुन-झुन  भी बजती है ,
कटि में भी उसके ,
करधनी  सजती है, 
शोभ  रही, सिर पर
लाल-लाल चोटी है ..........
भागता है  भागता है
थक जब वह जाता है
गिर तब वह  जाता है ,
अम्मा  को  देख  कर
मधुर-मधुर  हंसता है ,
मुस्कुरा  देता है
जीत पर या हार पर
अपनी  ही .........
अम्मा भी आती है
अंक  लगा लेती  है
पान करा देती है
अमृत  का , स्नेह  से  ,
आँचल  की छांव  में
लेती बलैया  है ...........