ये मौसम बदल जायेगा , ये ऋतुएँ बदल जायेंगी ,
ये दिन , सप्ताह , महीना सब बदल जायेगा ,
सुनो , तुम गौर से सुनो , मेरा प्यार नहीं बदलेगा।
मैं सूरज हूँ , हाँ सूरज ,
तुम्हारी ठंढी हथेली पर ,
अपने गरम हथेली रख ,
तुम्हे प्यार का अहसास कराऊंगा।
मैं मौसम नहीं , जो बदल जाऊंगा ,
वक़्त बदल सकता है , बदल जायेगा ,
पर मेरा प्यार नहीं बदलेगा।
हाँ , वक़्त के क्षुद्र बादल ,
मुझे कुछ देर के लिये ,
ढँक तो सकते हैं ,
पर तिरोहित नहीं कर सकते।
यह क्षुद्र बादल ,
मेरे तपिश में पिघल जायेगा ,
पर , मैं सच कहता हूँ ,
मेरा प्यार नहीं बदलेगा ,
नदी समन्दर बन सकती है ,
समन्दर नदी बन सकता है ,
सहरा में सैलाब बन सकता है ,
ये तारे टूट कर गिर सकते हैं ,
हवा प्रलय मचाती है मचा लेगा ,
पर मेरा प्यार नहीं बदलेगा।
रचना तिथि- 15 -04 - 21