Friday, July 13, 2018

पेड़ का बलिदान

एक शाम मेरे जेहन में
एक प्रश्न उभर आया ,
भेड़ और पेड़ में क्या अंतर है  ?
भेड़ों के भाग्य में लिखा है कटना ,
भेड़  कटते हैं , रोज कटते हैं ,
पेड़ों के भाग्य में लिखा है कटना ,
पेड़ कटते हैं , रोज  काटे जाते हैं। 
क्या फर्क पड़ता है -  भेड़ छोटा है या बड़ा ,
पेड़ सूखा है या हरा - भरा  ?

जिह्वा की संतुष्टि के लिए  ,
भेड़ बलिदान हो जाते हैं ,
शहर के विकास के लिए
पेड़ बलिदान हो जाते हैं।

किसी के विकास के लिए जरूरी है
किसी का बलिदान हो जाना  ,
पेड़ बलिदान हो जाते हैं ,
मानव के विकास के लिए ,
बन जाती हैं चौड़ी - चौड़ी सड़कें ,
आलीशान इमारतें ,
मजबूत दरवाजे , खिड़कियाँ ,
टेबल - कुर्सी  , फर्नीचर ,
और न जाने क्या - क्या।
पेड़ बलिदान देकर भी
अमर हो जाते हैं ,
कट कर भी
अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं पेड़ ,
एक हम हैं - मानव  ,
उसके बलिदान को ,
उसके त्याग को , उसके दर्द को
भुला देते हैं  ,
और ,
चलाते हैं  आरियां , पेड़ों पर ,
अनवरत - लगातार    .......
(  10 - 07  - 2018  )