Monday, February 12, 2018

गीत ( गव्य )

आ जा खुली हैं कब से ये बाहें ,
दिल मेरा तुझको पुकारे।    

कितना हँसी आज का है ये मौसम ,
मौसम करे क्या इशारे ,
हर ओर कलियों की है मुस्कराहट ,
हँसती हुई ये बहारें।
आ जा   .........

हवाओं की बाहों पर बादल घनेरे ,
बरसाए रिमझिम फुहारें ,
कलियों की अधरों पर भँवरों की नजरें ,
मस्ती भरे ये नज़ारे।
आ जा  .......

सतरंगी किरणों ने धनुषी छटाएँ
अँगना गगन के पसारे ,
तुम हो कहाँ आ भी जाओ ओ साजन ,
पलकों ने पथ हैं बुहारें।
आ जा  ......