Thursday, October 20, 2022

एक परी चंचल

आज तुम्हारे दिल के आँगन ,खूब मची हलचल ,
चुपके-चुपके दिल रोया और आँखें पल ,हर -पल। 

लाख छुपाया हँस-हँस करके ,तुमने दिल के ज़ख्म ,
कर गई चुगली मुझसे, तुम्हारी , सांसों की उथल-पुथल। 

सुन सजनी मैं राग तुम्हारा , तुम हो रागिनी मेरी ,
तुम ही जीवन की खुशबू हो , तुम ही गीत - ग़ज़ल। 

जब - जब मैंने अधरों पर है गीत नया कोई छेड़ा ,
आँखों के अँगना मेरे  उतरी , एक परी चंचल। 

भावुक मन है , कोमल तन है , मोहक छवि तुम्हारी ,
जैसे अभी - अभी खिला हो , ताल में पुष्प कमल। 

चिकुर बादलों से निकला है , चंदा एक नवल ,
नीलकमल सी आँखें तुम्हारी , हिरणी सी चंचल।