Tuesday, February 23, 2016

जंगल ही अच्छा है

जंगल में बहुत अमन चैन था ,
सभी जानवर मिल - जुल कर रहते थे ,
कोई किसी को बेवज़ह नहीं सताता था ,
बहुत शान्ति थी ,
अब कुशाशन फैल गया ,
जंगल कटने लगे , कट गए ,
जंगल का अमन - चैन खो गया ,
मानो , वहाँ का लोकतंत्र खो गया।
सभी   ' जंगली जानवर ' शांति की खोज में
शहर की ओर भागे ,
स्कूलों में आने लगे ,
ताकि , कुछ नैतिक शिक्षा प्राप्त कर सकें ,
मनुष्यों से मानवता सीखें ,
सभ्य बन सकें ,
पर , वह बहुत निराश हुआ ,
देखा ,यहाँ तो आदमी
आदमी को काट रहा है ,
बात - बात पर
बन्दूकें निकाल रहा है ,
शहर - शहर
बलात्कार हो रहा है ,
वृद्धाओं और बच्चियों से
दुर्व्यवहार हो रहा है ,
कोई तेंदुआ या भालू दिख गया , तो
उसे घेर कर मार रहा है ,
कहीं -कहीं तो
उसे पेड़ से उलटा लटकाया जा रहा है ,
सच मानो
यहाँ आदमी जंगली हो गया है ,
बात - बात पर हिंसक हो गया है ,
इतने स्कूल - कॉलेज हैं ,
पर नैतिकता नहीं है ,
उसने मन में सोचा ,
अपना जंगल ही अच्छा है।

नोट :-- रचना तिथि / माह - फरवरी  2016 
ब्लॉग्ड - 23 फेरवारी -2016  
 

जंगली आदमी

हमने , बचपन में सुना था ,
किताबों में पढ़ा था ,
बड़ों ने भी बताया था - ( कि )
शेर , बाघ , तेंदुआ
जंगली जानवर हैं ,
जंगलों में रहते हैं ,
अब , जंगल में आदमी रहते हैं
और ,
शेर , बाघ , तेंदुआ
शहर में रहने लगे हैं ,
आज का आदमी जंगली हो गया है। 
 
          ---- ( प्रकाशित )