Saturday, September 12, 2015

गंगा



कभी गंगा उतरी थी
बहुत वेग से ,
शिव ने अपनी जटाओं में
उन्हें बाँध लिया था ,
ताकि ,सब कुछ बह न जाये
उस वेग में ,
ताकि , कल्याणकारिणी हो गंगा ,
जीवनदायनी हो गंगा।

आज हमने गंगा के वेग ( बहाव )को
रोक दिया है ,
कूड़ा - कचरा डाल कर ,
अपनी सारी  गंदगी ,
इसमें डाल कर।

अब गंगा असहाय हो गई है ,
रूकने लगी है इसकी साँसें ,
घुटने लगा है इसका दम ,
बहुत प्रयास करती है
आगे बढ़ने का ,
पर , सफल नहीं हो पाती है।
अब कल्याणकारिणी गंगा
चाहती है अपना कल्याण ,
और ,
नया जीवन दान।
     
         --   मंजु सिन्हा
               डी - 40 , रेस कोर्स , देहरादून।
               ( उत्तराखण्ड  )
              पिन - 248001