कभी गंगा उतरी थी
बहुत वेग से ,
शिव ने अपनी जटाओं में
उन्हें बाँध लिया था ,
ताकि ,सब कुछ बह न जाये
उस वेग में ,
ताकि , कल्याणकारिणी हो गंगा ,
जीवनदायनी हो गंगा।
आज हमने गंगा के वेग ( बहाव )को
रोक दिया है ,
कूड़ा - कचरा डाल कर ,
अपनी सारी गंदगी ,
इसमें डाल कर।
अब गंगा असहाय हो गई है ,
रूकने लगी है इसकी साँसें ,
घुटने लगा है इसका दम ,
बहुत प्रयास करती है
आगे बढ़ने का ,
पर , सफल नहीं हो पाती है।
अब कल्याणकारिणी गंगा
चाहती है अपना कल्याण ,
और ,
नया जीवन दान।
-- मंजु सिन्हा
डी - 40 , रेस कोर्स , देहरादून।
( उत्तराखण्ड )
पिन - 248001
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