Friday, October 30, 2015

गति है तो जीवन है

पर्वतराज हिमालय कहता ,
सूरज चल - चल कर यह कहता ,
वन - वन पवन सुनाता फिरता ,
चंचल भँवर गीत  है गाता ,
फूल सदा ही हँस कर कहता ,
बहती  नदिया का जल कहता ,
जन - जन को संदेशा देता ,
गति है तो जीवन है , वरना ,
बिन गति , जीवन की अवनति  है।

सागर की  लहरों का उठना ,
बार - बार तट से टकराना ,
पर हिम्मत को नहीं हारना ,
लिपट -लिपट कर झटक तीर से ,
उद्भाषित  करती भावों से ,
दर्शन जीवन का बतलातीं ,
लहरें गीत गति का गातीं ,
गति है तो जीवन है ,वरना ,
बिन गति , जीवन की अवनति  है।

Monday, October 26, 2015

चंदन तो चंदन होता है

चंदन तो चंदन होता है ,
वह कुछ और नहीं होता है ,
जो भुजंग है, वह भुजंग है ,
वह भुजंग ही तो होता है ,
लिपटा चंदन से रहता है ,
पर विषधर विषधर होता है।

जो शीतल पावन होता है ,
वह जल गंगा जल होता है ,
मन जिसका गंगा होता है ,
वह सच में चंदन होता है ,
पूजित वह चंदन होता है ,
चंदन का वंदन होता है।

शुष्क अधर पर प्यार का चुंबन ,
अमृत की वर्षा करता  है ,
उस पल बैठ जगत का ब्रह्मा ,
इस जग की सृष्टी करता है ,
वह पल तो बस पल होता है ,
पल में ही सब कुछ होता है।