पर्वतराज हिमालय कहता ,
सूरज चल - चल कर यह कहता ,
वन - वन पवन सुनाता फिरता ,
चंचल भँवर गीत है गाता ,
फूल सदा ही हँस कर कहता ,
बहती नदिया का जल कहता ,
जन - जन को संदेशा देता ,
गति है तो जीवन है , वरना ,
बिन गति , जीवन की अवनति है।
सागर की लहरों का उठना ,
बार - बार तट से टकराना ,
पर हिम्मत को नहीं हारना ,
लिपट -लिपट कर झटक तीर से ,
उद्भाषित करती भावों से ,
दर्शन जीवन का बतलातीं ,
लहरें गीत गति का गातीं ,
गति है तो जीवन है ,वरना ,
बिन गति , जीवन की अवनति है।
सूरज चल - चल कर यह कहता ,
वन - वन पवन सुनाता फिरता ,
चंचल भँवर गीत है गाता ,
फूल सदा ही हँस कर कहता ,
बहती नदिया का जल कहता ,
जन - जन को संदेशा देता ,
गति है तो जीवन है , वरना ,
बिन गति , जीवन की अवनति है।
सागर की लहरों का उठना ,
बार - बार तट से टकराना ,
पर हिम्मत को नहीं हारना ,
लिपट -लिपट कर झटक तीर से ,
उद्भाषित करती भावों से ,
दर्शन जीवन का बतलातीं ,
लहरें गीत गति का गातीं ,
गति है तो जीवन है ,वरना ,
बिन गति , जीवन की अवनति है।
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