Friday, October 30, 2015

गति है तो जीवन है

पर्वतराज हिमालय कहता ,
सूरज चल - चल कर यह कहता ,
वन - वन पवन सुनाता फिरता ,
चंचल भँवर गीत  है गाता ,
फूल सदा ही हँस कर कहता ,
बहती  नदिया का जल कहता ,
जन - जन को संदेशा देता ,
गति है तो जीवन है , वरना ,
बिन गति , जीवन की अवनति  है।

सागर की  लहरों का उठना ,
बार - बार तट से टकराना ,
पर हिम्मत को नहीं हारना ,
लिपट -लिपट कर झटक तीर से ,
उद्भाषित  करती भावों से ,
दर्शन जीवन का बतलातीं ,
लहरें गीत गति का गातीं ,
गति है तो जीवन है ,वरना ,
बिन गति , जीवन की अवनति  है।