Sunday, May 6, 2012

बेटियाँ


पहाड़  की  मानिंद  होती  हैं  बेटियाँ ,
आत्मविश्वास  से  परिपूर्ण ,
अटल , अडिग  और  सुदृढ़ ,
अनमोल  रत्न  हैं  बेटियाँ   ।
देती  हैं समस्याओं  को चुनौतियां  ,
करती  हैं   विसंगतियों  पर  प्रहार  ,
गढ़ती  हैं  इतिहास  ,
लाती  हैं सामाजिक  क्रांतियाँ       ।

बेलन  से रोटी  बेलती  बेटियाँ  ,
दिखाती  हैं  प्रगति  के  पथ   ,
रोटी  बेलते लगातार  चलते  हाथ  ,
बताते   हैं   श्रम   का महत्व        ।

कपड़े   सिलती    बेटियाँ  , 
सूई   में   धागा  पिरोती  बेटियाँ  ,
पिरोती  हैं  एक   सूत्र   में  
परिवार  ,  समाज  और  देश   ।

जिनकी  हंसी   है  स्वर्गमयी    ,
जिनकी  गोद  है देवभूमि  ,
जिनकी  वाणी  में है  सरस्वती  ,
जिनकी  भुजाओं  में है   दुर्गा  
लक्ष्मी   हैं  बेटियाँ    ।

बेटियाँ  नहीं  होती  हैं  भार  ,
होती  हैं माँ  की  सहेली  
पिता    की  लाडली  
फूल  सी    सुंदर , फूल  सी  कोमल 
महकाती  हैं  पूरे  घर  और  आँगन   
बेटियाँ  ,  बेटियाँ  , बेटियाँ    ।

( भारत  सरकार ,वित्त  मंत्रालय , राजस्व  विभाग  द्वारा प्रकाशित पत्रिका   " उत्तराखंड  भारती  " वर्ष  2010-2011 में प्रकाशित   )