Sunday, January 22, 2012

चलो गाँव की ओर

चलो गाँव की ओर जहां पुरबैया बहती है ,
चलो गाँव की ओर जहां पुरबैया बहती है।

खेतों में जहां धान की फसलें मन हर्षाती है ,
झूम-झूम गेहूं की बाली गीत सुनाती है।
चलो गाँव की ओर --------

जहां वसंत की आह्ट सुन सरसों मुस्काती है,
तीसी के नीले फूलों की चादर बिछती है ,
चलो गाँव की ओर --------

जहां सूरज की किरणों के संग भोर उतरती है ,
अमराई में कोयल मीठे गीत सुनाती है ,
चलो गाँव  की ओर --------

जहाँ पनघट पर गाँव की गोरी गागर भरती है ,
ओढ़ चुनरिया धानी रंग ,धरती इठलाती है,
चलो गाँव की ओर -------------

सन -सन जहां उमग पुरबैया चलती है,
जहां अभी भी संबंधो में उष्मा मिलती है,
चलो गाँव की ओर ----------