चलो गाँव की ओर जहां पुरबैया बहती है ,
चलो गाँव की ओर जहां पुरबैया बहती है।
खेतों में जहां धान की फसलें मन हर्षाती है ,
झूम-झूम गेहूं की बाली गीत सुनाती है।
चलो गाँव की ओर --------
जहां वसंत की आह्ट सुन सरसों मुस्काती है,
तीसी के नीले फूलों की चादर बिछती है ,
चलो गाँव की ओर --------
जहां सूरज की किरणों के संग भोर उतरती है ,
अमराई में कोयल मीठे गीत सुनाती है ,
चलो गाँव की ओर --------
जहाँ पनघट पर गाँव की गोरी गागर भरती है ,
ओढ़ चुनरिया धानी रंग ,धरती इठलाती है,
चलो गाँव की ओर -------------
सन -सन जहां उमग पुरबैया चलती है,
जहां अभी भी संबंधो में उष्मा मिलती है,
चलो गाँव की ओर ----------
चलो गाँव की ओर जहां पुरबैया बहती है।
खेतों में जहां धान की फसलें मन हर्षाती है ,
झूम-झूम गेहूं की बाली गीत सुनाती है।
चलो गाँव की ओर --------
जहां वसंत की आह्ट सुन सरसों मुस्काती है,
तीसी के नीले फूलों की चादर बिछती है ,
चलो गाँव की ओर --------
जहां सूरज की किरणों के संग भोर उतरती है ,
अमराई में कोयल मीठे गीत सुनाती है ,
चलो गाँव की ओर --------
जहाँ पनघट पर गाँव की गोरी गागर भरती है ,
ओढ़ चुनरिया धानी रंग ,धरती इठलाती है,
चलो गाँव की ओर -------------
सन -सन जहां उमग पुरबैया चलती है,
जहां अभी भी संबंधो में उष्मा मिलती है,
चलो गाँव की ओर ----------
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