बारिस का है मौसम,
यूँ निकला ना करो ,
ज़माना है खराब ,
जमाने से डरो।
मौसम का क्या भरोसा ,
कभी ये भी मचल जायेगा ,
झूम कर नाचेगा ,
बहक जायेगा।
भींगा ना करो तुम कभी बूंदों में ,
रेशम का दुपट्टा है लिपट जायेगा।
जुल्फों से टपकता हुआ ,
बरसात का पानी ,
चूमेगा तन - वदन ,
वो बन के शराबी।
नाजुक तेरा बदन है ,
लग जायेगी नजर ,
निकली हो तुम बरसात में ,
सब को है ये खबर।
रहना ना इत्मीनान ,
अपनों से भी कभी ,
देते हैं बड़ा ज़ख्म ,
अपने भी हैं कभी।
यूँ निकला ना करो ,
ज़माना है खराब ,
जमाने से डरो।
मौसम का क्या भरोसा ,
कभी ये भी मचल जायेगा ,
झूम कर नाचेगा ,
बहक जायेगा।
भींगा ना करो तुम कभी बूंदों में ,
रेशम का दुपट्टा है लिपट जायेगा।
जुल्फों से टपकता हुआ ,
बरसात का पानी ,
चूमेगा तन - वदन ,
वो बन के शराबी।
नाजुक तेरा बदन है ,
लग जायेगी नजर ,
निकली हो तुम बरसात में ,
सब को है ये खबर।
रहना ना इत्मीनान ,
अपनों से भी कभी ,
देते हैं बड़ा ज़ख्म ,
अपने भी हैं कभी।