Thursday, December 31, 2015

तुम मेरे पास चली आना ,

ये दिल उदास जब हो जाये  ,
नहीं कोई राह नजर आये ,
तुम मेरे पास चली आना ,
अपनी कहना ,मेरी सुनना।

जग की दो रंगी नीति यहाँ ,
इन पर विश्वास नहीं करना ,
अपने मन की बातें सुनना ,
अपने मन की बातें करना।

मन की अपने मन में रखना ,
दिल के सब जख्म छुपा रखना ,
न बात कोई लब पर लाना ,
ना आँखों में आँसू लाना।

तेरे अश्कों की भाषा को ,
क्या जग समझेगा नादां है ,
जो बात किसी से कह न सके ,
दिल में वो बात सँजो रखना।

न जाने " तरुण " कब बात वही ,
रौशन तेरी दुनियाँ कर जाए ,
यादों के चिरागों को न बुझा ,
ये शमां जलाये ही रखना।