Friday, October 30, 2020

नयनों की नयनों से

नयनों की नयनों से ही  ,
ना ,जाने क्या -क्या बात हुई ,
कसमस -कसमस दिन बीता ,
साँझ ढली , फिर रात हुई।

चाँद छुपा जा अंक गगन के ,
तारों की बरात सजी ,
अधरों के आमंत्रण पर ,
अधरें भी रक्ताभ हुईं।

साँसों का था मिलन एक बस ,
चुपके -चुपके रात हँसी ,
महक उठा तब अंग -अंग ,
अमृत की बरसात हुई। 

खोई थी मादक सपनों में 
अनायास ही आँख खुली ,
कोयल की कूकों से जब ,
स्वर्णिम सी एक भोर हुई ।

अलसाई आँखों ने कर दी ,
चुगली बीते रात की ,
पायलिया ने खोल दिए सब ,
राज प्यार के बात की।