नयनों की नयनों से ही ,
ना ,जाने क्या -क्या बात हुई ,
कसमस -कसमस दिन बीता ,
साँझ ढली , फिर रात हुई।
चाँद छुपा जा अंक गगन के ,
तारों की बरात सजी ,
अधरों के आमंत्रण पर ,
अधरें भी रक्ताभ हुईं।
साँसों का था मिलन एक बस ,
चुपके -चुपके रात हँसी ,
महक उठा तब अंग -अंग ,
अमृत की बरसात हुई।
ना ,जाने क्या -क्या बात हुई ,
कसमस -कसमस दिन बीता ,
साँझ ढली , फिर रात हुई।
चाँद छुपा जा अंक गगन के ,
तारों की बरात सजी ,
अधरों के आमंत्रण पर ,
अधरें भी रक्ताभ हुईं।
साँसों का था मिलन एक बस ,
चुपके -चुपके रात हँसी ,
महक उठा तब अंग -अंग ,
अमृत की बरसात हुई।
खोई थी मादक सपनों में
अनायास ही आँख खुली ,
कोयल की कूकों से जब ,
स्वर्णिम सी एक भोर हुई ।
अलसाई आँखों ने कर दी ,
चुगली बीते रात की ,
पायलिया ने खोल दिए सब ,
राज प्यार के बात की।
कोयल की कूकों से जब ,
स्वर्णिम सी एक भोर हुई ।
अलसाई आँखों ने कर दी ,
चुगली बीते रात की ,
पायलिया ने खोल दिए सब ,
राज प्यार के बात की।
No comments:
Post a Comment