विजय कुमार सिन्हा "तरुण" की काव्य रचनाएँ.
आँखों में ये कतरा है ,
या कोई यह दरिया है ,
या सागर ही उमड़ा है ,
ओह !सात समन्दर पार ,
बेटा मेरा रहता है।
दिनांक - 10 -10 - 2020
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