Thursday, March 15, 2018

सात मुक्तक

थीर जल के झील में ना फेंक कोई कंकरी ,
चंचला हो जायेगी जल में छिपी जल की परी।

बात छोटी है , मगर ,हल्के में लेना तुम नहीं ,
एक चिंगारी से ही जल सकती है पूरी मही।

ओ दीवानों प्रेम के ,  तुम होश में रहना जरा ,
प्यार के दुश्मन बहुत हैं , पढ़ रहे चेहरा तेरा। 

हर ख़ुशी , हर दर्द में , आंसू  छलकते  आँख से ,
प्यार की हर बात होती , आँख की है आँख से।

मन की लहर पर , याद की कश्ती न रखना तुम कभी ,
जाने कब लहरें बहा ले जायेंगी  मझधार में।

डूब जाने को समंदर की जरूरत है नहीं  ,
हमने देखा है , किनारे पर सफ़ीना डूबते।

तुम चले जाओ कहीं भी , याद रखनी बात यह ,
टूट कर पत्ता नहीं जुड़ता कभी भी शाख से।