Tuesday, September 8, 2020

बस एक तेरा नूर

 बहुत गुजर गया है ,

चन्द रोज और गुजर जायेंगे ,

हम तो वो दरख़्त हैं , जो 

कुछ न कुछ देकर ही जायेंगे। 

ज़माने ने दिया है ,

मुझको बहुत कुछ ,

प्यार , मोहब्बत ,इश्क और अखलाक़ ,

सब कुछ तुमको ही नज़र कर जायेँगे। 

किसी से क्या शिक़वा , क्या गिला ,

सब यहीं छोड़ जायेंगे ,

तुम्हारी यादों के सिवा ,

कुछ और ना ले जायेंगे। 

ये मकां , ये असबाब , ये साजो - सामां ,

सब यहीं रह जायेँगे ,

बस एक तेरा नूर  , तेरी मुस्कुराहट ,

जनम - जनम याद आयेंगे। 

( रचना तिथि : - 03 - 09 - 2020 )