बहुत गुजर गया है ,
चन्द रोज और गुजर जायेंगे ,
हम तो वो दरख़्त हैं , जो
कुछ न कुछ देकर ही जायेंगे।
ज़माने ने दिया है ,
मुझको बहुत कुछ ,
प्यार , मोहब्बत ,इश्क और अखलाक़ ,
सब कुछ तुमको ही नज़र कर जायेँगे।
किसी से क्या शिक़वा , क्या गिला ,
सब यहीं छोड़ जायेंगे ,
तुम्हारी यादों के सिवा ,
कुछ और ना ले जायेंगे।
ये मकां , ये असबाब , ये साजो - सामां ,
सब यहीं रह जायेँगे ,
बस एक तेरा नूर , तेरी मुस्कुराहट ,
जनम - जनम याद आयेंगे।
( रचना तिथि : - 03 - 09 - 2020 )
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