Saturday, January 18, 2014

ज़िंदगी के यारों ऐसे मजे कहाँ हैं


है आ गया बुढ़ापा यह हम भी जानते हैं
पर बोझ है बुढ़ापा यह हम न मानते हैं। 

हर रोज हर सुबह में  हम साथ बैठते हैं
पीते  हैं चाय मिलकर और टी वी देखते हैं।

तैयार होते - होते हो जाता दोपहर है
हो जाता जल्दी यारों , खाने का भी प्रहर है।

खाना बनाती मैडम , फिर साथ बैठ खाते ,
बस इस तरह ही दोनों हर दिन गुजारते हैं।

न शिक़वा कोई है मुझको, न उनको है शिकायत
हर रोज घूमने की  हमने लगाई आदत।

होती अगर इनायत कुछ दोस्त आ के मिलते
हम भी कभी-कभी ही , हैं उनके घर पहुँचते  ।

कुछ खाश हो खबर तो अखबार भी हैं पढ़ते
टी वी और रेडियो पर गाना - ग़ज़ल हैं सुनते।

तकलीफ है बुढ़ापा कहते सभी यहाँ हैं
पर ज़िंदगी के यारों ऐसे मजे कहाँ  हैं। 
रचना तिथि - मई , 2012 

लौट आओ















लौट आओ  तुम , (कि ) अब ये
दिल मेरा  लगता नहीं ,

नेह के इस पंथ को , न जाओ ,
तुम यूँ छोड़ कर  ,
जन्मों के बंधन हैं ये , न जाओ ,
तुम यूँ तोड़ कर ,
चुप न बैठो ,कुछ सुनाओ
दिल मेरा लगता नहीं..........

फूल संग काँटे रहें , या
संग काँटे फूल  के
संग ही हम तो खिले हैं
जग के इस दुकूल पे ,
रूठ कर तुम यूँ न जाओ
दिल मेरा लगता नहीं  ........

साथ ही जीवन मिला है
साथ ही हम  जाँयेंगे   ,
इस धरा पर प्यार का
संदेश दे कर जाँयेंगे  ,
तुम जरा सा मुस्कुराओ 
दिल मेरा लगता नहीं ..........

प्यार के जो क्षण मिले
आओ सजाएँ  प्यार से
बिन तुम्हारे प्यार के ,कोई
छंद बन पाता  नहीं  ,
गीत कोई गुन - गुनाओ
दिल मेरा लगता नहीं ........

अभिनन्दन नव वर्ष



नये वर्ष में मिलकर हम सब
नये - नये सपने बुन लें  ,
किस्म - किस्म के फूल यहाँ हैं  ,
उनमें से कुछ हम चुन लें  ।

आशाओं के नये पंख ले
जीवन- नभ में हम  उड़  लें  ,
नहीं करेंगे वैर किसी से
मन में यह निश्चय कर लें  ।

भ्रष्टाचार और कदाचार  का
साथ न देंगे जीवन में ,
अपने से छोटों की झोली
सदा प्यार से हम भर दें   ।

मातु - पिता गुरुजन की सेवा , का
व्रत हम धारण कर लें ,
हत्या कन्या - भ्रूण का ना हो
ठान के इसका प्रण कर लें  ।

ना जाने कि कौन सी कन्या
जग को तारने वाली हो ,
ऐसा ना हो अपने हाथों
नाश न अपना हम  कर लें  ।

नहीं गये गर मंदिर - मस्जिद
काज नये कुछ हम कर लें ,
किसी गरीब की कन्या को ही
हम थोड़ा शिक्षित कर लें  ।

हम मानव हैं मानव बन कर
जग में कुछ ऐसा कर लें
जिससे हो कल्याण विश्व का
इतिहास ऐसा रच लें  ।

अभिनन्दन नव वर्ष तुम्हारा
अमन चैन खुशहाली हो ,
विश्व के कोने - कोने में नित
ईद , होली ,दीवाली हो  ।
   
      -----  ( प्रकाशित )