Saturday, May 21, 2016

रात और मैं

रात भी रोती है ,
रात भी हँसती है ,
रात भी जागती है ,
रात भी सोती है ,
मैं हँसा ,
रात हँसी ,
मैं रोया ,
रात रोई ,
मैं जागता रहा ,
रात भी जागती रही ,
मैं सोया ,
रात भी सो गई ,
रात और मैं ,
दोनों एक दूसरे के पर्यायवाची।

समय की रेत पर

समय की रेत पर ,
लिखता हूँ
जीवन की कविता ,
लिखता हूँ गीत ,
गुनगुनाता हूँ ,
बुनता हूँ सपने
हवा के परों पर ,
तेज झकोरों के साथ
ले जाता है उड़ा कर ,
कविता गीत और सपने ,
विचारों की आँधी ।
फिर से वही शून्य ,
निहारता हूँ आकाश ,
फिर से दुहराता हूँ
वही सब ,
खोजता हुआ जीवन ,
जो खो गया है
कविता , गीत और सपनों में  .....