Saturday, May 21, 2016

समय की रेत पर

समय की रेत पर ,
लिखता हूँ
जीवन की कविता ,
लिखता हूँ गीत ,
गुनगुनाता हूँ ,
बुनता हूँ सपने
हवा के परों पर ,
तेज झकोरों के साथ
ले जाता है उड़ा कर ,
कविता गीत और सपने ,
विचारों की आँधी ।
फिर से वही शून्य ,
निहारता हूँ आकाश ,
फिर से दुहराता हूँ
वही सब ,
खोजता हुआ जीवन ,
जो खो गया है
कविता , गीत और सपनों में  .....

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