जिस भूमि पर जनम लिया , मां की गोद समान ,
सुर , नर मुनि सब ही कहैं , मां की गोद महान ।
जिस धरती की धूल में , पल कर हुए बलबान ,
उस धरती का लाल तू , मत करना अपमान ।
मां की गोद की महिमा , जग में अपरंपार ,
मां के आँचल में बसा , है पूरा संसार ।
रोटी की चाहत नहीं , जिसे देश से प्यार ,
" राणा मर कर अमर हुए , खा कर खर - पतवार ।
मखमल जैसी है धरा , गाँव घूम कर देख ,
जहाँ प्रकृति की गोद में , शस्यश्यामला खेत ।
ऊँचे महलों में रहे , अंगना छवि छवाय ,
मोल देश का क्या पता , सुख में समय बिताय ।
मोल देश का पूछ तू , वीरों के घर जाय ,
शीश कटा कर दे रहे , दूध का कर्ज चुकाय ।