चंदन तो चंदन होता है ,
वह कुछ और नहीं होता है ,
जो भुजंग है, वह भुजंग है ,
वह भुजंग ही तो होता है ,
लिपटा चंदन से रहता है ,
पर विषधर विषधर होता है।
जो शीतल पावन होता है ,
वह जल गंगा जल होता है ,
मन जिसका गंगा होता है ,
वह सच में चंदन होता है ,
पूजित वह चंदन होता है ,
चंदन का वंदन होता है।
शुष्क अधर पर प्यार का चुंबन ,
अमृत की वर्षा करता है ,
उस पल बैठ जगत का ब्रह्मा ,
इस जग की सृष्टी करता है ,
वह पल तो बस पल होता है ,
पल में ही सब कुछ होता है।
वह कुछ और नहीं होता है ,
जो भुजंग है, वह भुजंग है ,
वह भुजंग ही तो होता है ,
लिपटा चंदन से रहता है ,
पर विषधर विषधर होता है।
जो शीतल पावन होता है ,
वह जल गंगा जल होता है ,
मन जिसका गंगा होता है ,
वह सच में चंदन होता है ,
पूजित वह चंदन होता है ,
चंदन का वंदन होता है।
शुष्क अधर पर प्यार का चुंबन ,
अमृत की वर्षा करता है ,
उस पल बैठ जगत का ब्रह्मा ,
इस जग की सृष्टी करता है ,
वह पल तो बस पल होता है ,
पल में ही सब कुछ होता है।
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