( 1 )
लोग तो , ना जाने ,
क्या -क्या ख़याल रखते हैं ,
खुद पर यकीं नहीं ,
औरों की नक़ल करते हैं।
( 2 )
तुम बेसुरे ही सही,
गाओ तो कोई गीत ,
अपना ही ,
बकरियां भी करती हैं में - में ,
अपनी ही आवाज में ,
भेड़ियों की नक़ल नहीं करतीं।
( 3 )
बरसात के मौसम की महक मिलते ही ,
मेढक टर - टराने लगते हैं ,
फूल में खुशबू आने से पहले ही ,
लोभी भँवरे गुन - गुनाने लगते हैं।
( 4 )
राजा कहै फ़कीर हूँ ,
झोला मेरे साथ ,
सुनत कबीरा हँसि पड़ै ,
कर धर अपने माथ।
कर धर अपने माथ ,
सोच में पड़ै कबीरा ,
हैं फ़कीर जो सॉंच में ,
होगा उनका क्या नाथ ?
लोग तो , ना जाने ,
क्या -क्या ख़याल रखते हैं ,
खुद पर यकीं नहीं ,
औरों की नक़ल करते हैं।
( 2 )
तुम बेसुरे ही सही,
गाओ तो कोई गीत ,
अपना ही ,
बकरियां भी करती हैं में - में ,
अपनी ही आवाज में ,
भेड़ियों की नक़ल नहीं करतीं।
( 3 )
बरसात के मौसम की महक मिलते ही ,
मेढक टर - टराने लगते हैं ,
फूल में खुशबू आने से पहले ही ,
लोभी भँवरे गुन - गुनाने लगते हैं।
( 4 )
राजा कहै फ़कीर हूँ ,
झोला मेरे साथ ,
सुनत कबीरा हँसि पड़ै ,
कर धर अपने माथ।
कर धर अपने माथ ,
सोच में पड़ै कबीरा ,
हैं फ़कीर जो सॉंच में ,
होगा उनका क्या नाथ ?
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