हुआ प्रकृति में नया विहान ,
आज तुम गाओ मंगल गान।
सरसों फूली , बौर है महका ,
महुआ से है वन मदमाया।
हवा वसंती चली , कि, ऐसी ,
सुध-बुध भी मन का विसराया।
गीत भृंग , गाये फूलों पर ,
लहरें मदमाती कूलों पर।
प्रकृति विहँसी , आया विहान ,
आज तुम गाओ मंगल गान।
आज तुम गाओ मंगल गान।
सरसों फूली , बौर है महका ,
महुआ से है वन मदमाया।
हवा वसंती चली , कि, ऐसी ,
सुध-बुध भी मन का विसराया।
गीत भृंग , गाये फूलों पर ,
लहरें मदमाती कूलों पर।
प्रकृति विहँसी , आया विहान ,
आज तुम गाओ मंगल गान।
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