काव्य मंजरी
विजय कुमार सिन्हा "तरुण" की काव्य रचनाएँ.
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Thursday, July 11, 2019
तुम यूँ ही सदा मुस्कुराती रहो ,
जीत के गीत हरदम ही गाती रहो।
आशीष , शुभकामना।
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