बूढ़े दरख़्तों से कहो ,
वे ख़ुद छोड़ दें वह जगह ,
नए दरख़्त उग आये हैं
नए अंदाज़ में ,
अब उनकी ज़रुरत नहीं है ......
बरगद से कहो ,
वे इतराना छोड़ दें ,
पंछियों को देते हैं बसेरा
और ,
करते हैं छाया ,
थके मुसाफिरों पर .....
पीपल से कहो,
मुस्कुराना छोड़ दें ,
हम ही हैं
देते हैं शुद्ध हवा
ऑक्सीजन , जीने के लिए ,
अब नया ज़माना आया है ,
नयी तकनीक आ गई है ,
सब कुछ हम स्वयं कर लेंगे ,
अब उनकी कोई ज़रूरत नहीं है। ......
वे ख़ुद छोड़ दें वह जगह ,
नए दरख़्त उग आये हैं
नए अंदाज़ में ,
अब उनकी ज़रुरत नहीं है ......
बरगद से कहो ,
वे इतराना छोड़ दें ,
पंछियों को देते हैं बसेरा
और ,
करते हैं छाया ,
थके मुसाफिरों पर .....
पीपल से कहो,
मुस्कुराना छोड़ दें ,
हम ही हैं
देते हैं शुद्ध हवा
ऑक्सीजन , जीने के लिए ,
अब नया ज़माना आया है ,
नयी तकनीक आ गई है ,
सब कुछ हम स्वयं कर लेंगे ,
अब उनकी कोई ज़रूरत नहीं है। ......
No comments:
Post a Comment