क्या होती है गीत - गज़ल
क्या छन्द - बन्ध के माने हैं ,
दीप - शिखा सम शब्दों के
हम दीवाने परवाने हैं ,
मौजों में , मझधारों में ही
नाविक की पहचानें हैं ,
क्या होती है .........................।
मत बांधो शब्दों को तुम
छन्दों - बन्धों के तारों में ,
अति कसाव से सुर नहीं सधते
वीणा की झनकारों में ,
भिन्न - भिन्न हैं सुर लेकिन
सब एक से ही अफ़साने हैं ,
क्या होती है ........................ ।
आज़ाद परिन्दों को देखो
लगते कितने मस्ताने हैं ,
पाँखों में विस्वास संजो
आकाश को भी छू लेते हैं ,
खुली हवा उड़ते हैं , ये ,
गाते गीत सुहाने हैं ,
क्या होती है .......................।
सागर के निस्सीम वक्ष पर
लहरें करतीं मनमानी हैं ,
कब सागर ने लहरों को
सीमाओं में बांधा है ,
हिम्मत वाले ही सागर की
लहरों के दीवाने हैं ,
क्या होती है .........................।
कब नर सिंहों के अयाल
बंध कर अच्छे लगते हैं ,
अलमस्त घूमते हैं वन में
राजा वन के कहलाते हैं ,
नहीं हाथी और व्याल बिना
जंगल पहचाने जाते हैं ,
क्या होती है ........................।
है समय - समय की बात
शब्द भी अपने अर्थ बदलते हैं ,
एक " कृष्ण " है कालापन , तो ,
दूजे " ईश " कहाते हैं ,
भावों को समझाने के
अपने - अपने पैमाने हैं ,
क्या होती है .........................।
क्या छन्द - बन्ध के माने हैं ,
दीप - शिखा सम शब्दों के
हम दीवाने परवाने हैं ,
मौजों में , मझधारों में ही
नाविक की पहचानें हैं ,
क्या होती है .........................।
मत बांधो शब्दों को तुम
छन्दों - बन्धों के तारों में ,
अति कसाव से सुर नहीं सधते
वीणा की झनकारों में ,
भिन्न - भिन्न हैं सुर लेकिन
सब एक से ही अफ़साने हैं ,
क्या होती है ........................ ।
आज़ाद परिन्दों को देखो
लगते कितने मस्ताने हैं ,
पाँखों में विस्वास संजो
आकाश को भी छू लेते हैं ,
खुली हवा उड़ते हैं , ये ,
गाते गीत सुहाने हैं ,
क्या होती है .......................।
सागर के निस्सीम वक्ष पर
लहरें करतीं मनमानी हैं ,
कब सागर ने लहरों को
सीमाओं में बांधा है ,
हिम्मत वाले ही सागर की
लहरों के दीवाने हैं ,
क्या होती है .........................।
कब नर सिंहों के अयाल
बंध कर अच्छे लगते हैं ,
अलमस्त घूमते हैं वन में
राजा वन के कहलाते हैं ,
नहीं हाथी और व्याल बिना
जंगल पहचाने जाते हैं ,
क्या होती है ........................।
है समय - समय की बात
शब्द भी अपने अर्थ बदलते हैं ,
एक " कृष्ण " है कालापन , तो ,
दूजे " ईश " कहाते हैं ,
भावों को समझाने के
अपने - अपने पैमाने हैं ,
क्या होती है .........................।
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