राज की बात किसी से ना कहना ,
औरों के दिल की छोड़ ,
अपने दिल की किताब पढ़ना ,
होंगे ,
बहुत किस्से ,
कहीं उदासी के , कहीं ग़म ,
कहीं तन्हाई के ,
मगर , उन्हीं में से ,
एक पन्ना , ख़ुशी के भी होंगे।
ये मत कहना -
ज़माने ने क्या दिया मुझको !,
बिखरे पड़े हैं ,
अनगिनत , मोती, हीरे - जवाहरात ,
अनगिनत कंकड़ - पत्थर ,
हर जगह ,
यह तुम जानो ,
तुम क्या चुनते हो .........
-- विजय