Sunday, October 19, 2014

मुझको गुब्बारे दिलवा दो

माँ ! आया गुब्बारे वाला ,
मुझको गुब्बारे दिलवा दो ,
लाल , हरे कुछ नीले ,पीले ,
उनमें से बस एक दिला दो ,
मुझको गुब्बारे दिलवा दो।

मेले में हैं बहुत सी चीजें ,
पर सब कुछ तो नहीं चाहिए ,
बेच रहा वह हवा मिठाई ,
सस्ती है वह मुझे दिला दो ,
मुझको गुब्बारे दिलवा दो।

नहीं और कुछ मुझे चाहिए ,
गुड्डा- गुड़िया नहीं चाहिए ,
चाहे मुझसे कसम ही ले लो ,
बस दोनों चीजें दिलवा दो ,
मुझको गुब्बारे दिलवा दो।

घर भी पैदल चला जाऊँगा ,
गोद  में तेरी नहीं चढूँगा ,
नहीं तंग मैं तुझे करूँगा ,
बस मेरी विनती तुम सुन लो ,
मुझको गुब्बारे दिलवा दो।

(   मासिक पत्रिका  " युगवाणी  " , देहरादून  माह दिसम्बर  के अंक में प्रकाशित हुई है   )

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