Wednesday, July 27, 2022

आज के इन्सान को क्या हो गया

ज़ुल्म की,हर हदों को लांघता,
आज के इन्सान को क्या हो गया ,
ईश ने तो,था बनाया आदमी ,
आदमी हैवान क्यों कर बन गया।
हो गई है चूक किस मुक़ाम पर,
इन्सानियत का खून क्यों कर हो गया ,
खून,काटो तन , तो सब का लाल है ,
क्या हुआ , जो आज विषधर हो गया।
जो यहाँ आया है , वह तो जायेगा
किस भ्रम में ,आदमी है खो गया।
-- विजय कुमार सिन्हा "तरुण"


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