विजय कुमार सिन्हा "तरुण" की काव्य रचनाएँ.
जिन्दगी कभी इतनी बेबस हो जायेगी ,सोचा ना था ,धरती के स्वयंभू भगवान् भी सो जायेंगे ,सोचा ना था ,बाड़ ही खेत को खा जायेगा ,सोचा ना था।
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